हरि सर्वोत्तम । वायु जीवोत्तम । श्री गुरुभ्यो नमः ।
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वृंदावन नॊडिरो – गुरुगळ
गुरुगळ यतिगळ मुनिगळ राघवेन्द्रर
वृंदावन नॊडिरो ॥ प ॥
वृंदावन नोडि – आनंद मदवेरि
चंददि द्वादश पौंड्रांकितगॊंब ॥ अ ॥
तुंगभद्रा नदिय तीरदि इद्द
तुंग मंटप मध्यदि
शृंगार श्री तुळसि पदुमाक्ष सरगळिंद
मंगळकर महा महिमॆ इंदॊप्पुव ॥ १ ॥
देशदेशदि मॆच्चुत इल्लिगॆ बंदु
वासवागि सेविप
भाषॆ कॊट्टंददि बहुविध वरगळ
सूसुव कर महामहिमॆयिंदॊप्पुव ॥ २ ॥
नित्य सन्निधि सेविप भक्तरिगॆल्ल
मत्तभीष्टव कॊडुत
सत्यादिगुणसिंधु वॆंकटविठ्ठलन
नित्यसन्निधियिंद निरुत पूजॆयगॊंब ॥ ३ ।
॥ भारतीरमणमुख्यप्राणान्तर्गत श्रीकृष्णार्पणमस्तु ॥