हरि सर्वोत्तम । वायु जीवोत्तम । श्री गुरुभ्यो नमः ।
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मनवे मन्त्रलया नॆलॆसिल्लि
गुरुवे करुणामया
तन्दॆयु तायियु बन्धुवु नीने (३)
तमवनु कळॆयुव दीविगॆ नीने
कलुमश तॊळॆव गन्गा जल नीने
कम्बनि ऒरॆसुव करुनाळु नीने
मनवे मन्त्रलया …
करॆदल्लिगॆ बरुव कामधेनु
कामितगळनीव कल्पतरु
मन्जुळवीण गानविनोदिनि नी
महिमान्वित मन्त्रालय वासि
मनवे मन्त्रलया …
नरहरि पदकमल सेविप भ्रमर
मरळि धरॆगिलिद गुरु राघवेन्द्र
शिर बागि नमिसुवॆ तव पद्म चरणगॆ
करुनदि कायो गुरु सार्वभौमा ़ २
मनवे मन्त्रलया …
॥ भारतीरमणमुख्यप्राणान्तर्गत श्रीकृष्णार्पणमस्तु ॥