हरि सर्वोत्तम । वायु जीवोत्तम । श्री गुरुभ्यो नमः ।
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तुंगातीर विराजं भजमन
राघवेंद्र गुरुराजं भजमन ||
मंगलकर मंत्रालयवासं
शृंगारानन विलसितहासम्
राघवेंद्र गुरुराजं भजमन || 1 ||
करधृत दंड कमंडलु मालं
सुरुचिर चेलम् धृत मणि मालं
राघवेंद्र गुरुराजं भजमन || 2 ||
निरुपम सुंदर काय सुशीलम्
वरकमलेशार्पित निज सकलम्
राघवेंद्र गुरुराजं भजमन || 3 ||
॥ भारतीरमणमुख्यप्राणान्तर्गत श्रीकृष्णार्पणमस्तु ॥