हरि सर्वोत्तम । वायु जीवोत्तम । श्री गुरुभ्यो नमः ।
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जय जय श्रीरघुराम
(बालकांड)
राग : देश्
रचॆनॆ : श्री गुरुजगन्नाथविठल दासरु
जय जय श्रीरघुराम । जय जय सीताराम ॥प॥
जय जय भजकर भयहर त्वत्पद । दयदलि तोरिसॊ राम ॥अ.प॥
दशरतनृपसुत दशकंधर मुख्य निशिचरकुलनिर्धूम
सुररर्थित हरि धरॆयॊळु तानव तरिसिद रघकुलराम ॥१॥
दशरथनृपसुत शिशुभावदलि वसमति मोहिप- राम ॥२॥
सुंदरस्वानन दिंदलि जनकानंदव बीरिद-राम ॥३॥
ऒंदिन मुनिवर बंदानृपवरकंदन प्रार्थिसॆ-राम ॥४॥
तंदॆगॆ तानभिवंदिसि मुनिसह नंददि नडॆदनु-राम ॥५॥
दनुजर सदॆदामूनिमख पॊरॆद इनकुलसंभव- रावु ॥६॥
शिलॆयनु तन पदजलजदलिंद ललनॆय माडिद-रावु ॥७॥
इनियनिंदला वनितॆयगूडिसि मुनिसह नडॆदनु-राम ॥८॥
जनकन पुरवनु अनुजन सहितदि मुनियॊडनैदिद-राम ॥९॥
नरवरसभॆयलि गिरिशन धनुवनु मुरिदनु राघव-राम ॥१०॥
क्षोणीशन पणक्षीणिसि सीतॆय पाणिय पिडिदनु-राम ॥११॥
सुदतियु नीडिद पदुमद मालॆय मुददलि धरिसिद-राम ॥१२॥
जानकि सॊगसिन आननकमलकॆ भानुमनादनु-राम ॥१३॥
मार्गमध्यदि भार्गव बरलु मार्गण ऎसॆदनु-राम ॥१४॥
लक्मसतियूत लक्मण सहितदि तक्मण नदॆदनु -राम ॥१५॥
सीतॆय सह साकेतद जनरिगॆ प्रीतियगॊळिसिद-राम ॥१६॥
ध्वरितनपट्टव भरतगॆ नेमिसि त्वरदलि नडॆदनु-राम ॥१७॥
खरमुखदनुजर तरिदा रघुवर चरिसिद वनवन-राम ॥१८॥
राक्षसरावण वीक्षिसि सीतॆय नाक्षण वैदनु-राम ॥१९॥
पॊडवितनयळ पुडुकुव नॆवॆदि अडविय चरिसिद- राम॥२०॥
अरसुत बरुतिगॆ गिरियलि अंजनॆ तरुळन कंडनु-राम ॥२१॥
अनुपम करुणदि हनुमन ग्रहिसिद इनकूलसंभव राम ॥२२॥
शील बहुबलशालि ऎनिसिह वालिय कॊंदनु-राम ॥२३॥
वनितॆय गोसुग हनुमनु वेगदि वनधिय दाटिद-राम ॥२४॥
बिंकदि हनुमनु लंकॆय पॊक्कु मंकु दनुजर-राम ॥२५॥
वनगिरि दुर्गदि वनजाक्षियनु मनदणि पुडिकिद-राम ॥२६॥
धारुणितनयळ सारुवॆनॆनुत ऊरलि पुडुकिद-राम ॥२७॥
ओणिगळॊळु ता क्षोणितनयळा काणदॆ तिरुगिद-राम ॥२८॥
लोकद मातॆया शोकवनदॊळा लोकनगैदनु-राम ॥२९॥
कामिनिमणिगॆ रामन वार्तॆय प्रेमदि पेळिद-राम ॥३०॥
रामन शुभकरनामद वार्तॆय प्रेमदि पेळिद-राम ॥३१॥
रूढिजदेविय चूडामणिय नीडुवॆनॆंदनु-राम ॥३२॥
कुशलद वार्तॆय शशिमुखि केळि व्यसनदि नुडिदळु-राम ॥३३॥
कोतियॆ इल्लिगॆ यातकॆ बंदॆयॊ घातिपरसुररु-राम ॥३४॥
बलहीननु नी बलवंतसुररु छलमाडदॆ नडि-राम ॥३५॥
घनतर लंकॆग वनचर बंदॆयॊ दनुजरु कॊल्वरु-राम ॥३६॥
राक्षसगुण ता वीक्षिसि निन्ननु शिक्षॆय गैवुदु-राम ॥३७॥
मातॆयॆ तिळि ऎनग्यातर भय रघु नाथनु कायुव-राम ॥३८॥
आखणाशम नारायन दयदलि नी करुणिसि तायॆ-राम ॥३९॥
मुतात्मज ता भरदलि नडॆदु तरुगळ कित्तिद-राम ॥४०॥
अशॊकवनद सशॊकवर्थॆय निशिचर केलिद- राम॥४१॥
कोतिय हिडियलु कातुरदिंदलि दूतरु कळुहिद-राम ॥४२॥
लक्ष्यमाडदॆ तक्षण कोतिय शिक्षिपॆनॆनुतलि-राम ॥४३॥
बंदा रावणकंदन नोडि नंददि नलिदनु-राम ॥४४॥
अक्षकुमारन लक्षिय माडदॆ तक्षण कॊंदनु-राम ॥४५॥
युद्धदलति सन्नद्धराद प्रसिद्ध दितिजरु-राम ॥४६॥
शक्तियु सालदशक्तरागि बहुयुक्तिय माड्दरु-राम ॥४७॥
इंद्रारातियु नंददि बंदु निंदनु रणदलि-राम ॥४८॥
बॊम्मनस्त्रव घम्मनॆ हाकलु सुम्मनॆ सिक्कनु-राम ॥४९॥
मातॆय कंडारातिय पुरवर नाथन कंडनु-राम ॥५०॥
मूर्खाग्रणि केळ् लेखाग्रणि शिरि काकुत्स्थान्वय-राम ॥५१॥
रामन पदयुगतामरसकॆ ना प्रेमद भक्तनु-राम ॥५२॥
श्रीनिधिरामन मानिनितस्कर दानव केळॆलॊ-राम ॥५३॥
दुष्थनॆ तिळि नी सृष्टियॆ मॊदला दष्ठककर्थनु-राम ॥५४॥
भ्रष्थरावण सुरश्रेष्ठन वैरदि नष्टनु नीनागुवि-राम ॥५५॥
जानकिरमणनु मानवनल्लवॊ दानवांतकनु-राम ॥५६॥
बलवद्द्वाषवु सुलभल्लवॊ तव कुलनाशागॊदॊ-राम ॥५७॥
काननकोतियॆ एनाडिदि नुडि हानिय माडवॆ-राम ॥५८॥
आ क्षण रावण राक्षसजनरिगॆ शिक्षिसिरॆंदनु-राम ॥५९॥
कोतिय कॊंदरॆ पातक बप्पॊदु घातवु सल्लदु-राम ॥६०॥
तरुवरनेरिद वानरबालदि तरुवैरियनिट्टरु-राम ॥६१॥
हरिवर ताने उरियलि लंका पुरवनु दहिसिद-राम ॥६२॥
वानरनाथनु कानन सुरवर राननकित्तनु-राम ॥६३॥
दितिजततियनु हतगैदा कपि नतिसिद सातॆगॆ-राम ॥६४॥
सागरलंघिसि वेगदि बंदु बागिद स्वामिगॆ-राम ॥६५॥
रामन पदकॆ प्रेमदि विसिवु तिळिसि- राम ॥६६॥
कामिनिकॊट्टिह हेमद रागटॆ स्वामिगॆ नीडिद-राम ॥६७॥
गिरितरुगळ ता त्वरदलि तरिसि शरधिय कट्टिद-राम ॥६८॥
कामिनि नॆवदलि राम दनुजरिगॆ आ महयद्धवु-राम ॥६९॥
पाविन ता संजीवनपर्वत तीव्रदि तंदनु-राम ॥७०॥
सेवकहनुमनु देवन तम्मगॆ जीवनवित्तनु-राम ॥७१॥
तंदॆय पुरदलि इंद्रन वैरिय कॊंदनु लक्ष्मण-राम ॥७२॥
मूल बलवनु लीलॆयिंद नी गैसिद- रावु ॥७३॥
अंबुगळॆसॆदा कुंभकर्णना कुंभिणिगिळिसिद-राम ॥७४॥
राक्षसवर्यन वक्षोदारण वाक्षण गैसिद-राम ॥७५॥
गुणयुत विभीषणनिगॆ पट्टव क्षणदलि कट्टिद राम ॥७६॥
मंदगमनि सह नंदिग्रामकॆ नंददि बंदनु-राम ॥७७॥
रामनु सार्वभौमनागि ई भूमियनाळिद-राम ॥७८॥
रमॆयिंदलि ता रमिसिद सीता रमणनु रघुकुल-राम ॥७९॥
अंजनितनयगॆ कंजजपट्टव रंजिसि नीडिद-राम ॥८०॥
राज राज राजीवनयन तव भोजन नीडिद-राम ॥८१॥
कंजाक्षनपदकंजभजक प्राभंजनसुत कपि-राम ॥८२॥
चंपक तरुलत कंपित शुभतर किंपुरुदिद-राम ॥८३॥
मोदवॆ दक्ष प्रमोदोत्तर निज मोदावयवनु-राम ॥८४॥
पू र्णरू ता पूर्ण गुणार्ण पूर्णनि -राम॥८५॥
दूतजनर गतिदातनु गुरुजगन्नाथविठलनु-राम ॥८६॥
॥ भारतीरमणमुख्यप्राणान्तर्गत श्रीकृष्णार्पणमस्तु ॥