Tulasi Sankeertana

हरि सर्वोत्तम । वायु जीवोत्तम । श्री गुरुभ्यो नमः ।

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तुळसीसंकीर्तनॆ

संकीर्तनॆ (भानुवारक्कॆ)
राग सौराष्ट्र आदिताळ

देवर देवन बारॊ देवकीनंदन बारॊ ।
देवेंद्रन सलहिद देव बारॊ हरियॆ ॥ प ॥

मत्स्यनागि श्रुतिय तंदित्त भक्तवत्सल ।
नृत्य सत्यव्रतनॆंदु पॊत्तॆ बारॊ हरियॆ ॥ १ ॥

सारिद सुररिगागि नीरॊळगॆ मुळुगिद ।
गिरियनुद्धरिसिद कूर्म बारॊ हरियॆ ॥ २ ॥

धरॆयनुद्धरिसलु वराहनादवनॆ ।
हिरण्याक्षन गॆलिद धीर बारॊ हरियॆ ॥ ३ ॥

नंबिद भक्तर कावॆनॆंब करुणदि कल्ल ।
कंबदिंदलुदिसिद डिंब बारॊ हरियॆ ॥ ४ ॥

माणवकवेषनागि कोणियानळॆदवनॆ ।
दानवन सोलिसिद जाण बारॊ हरियॆ ॥ ५ ॥

जडिदु दुष्ट नृपर गडणव बिडदॆ ।
कडिदुग्र कॊडलिय प्रौढ बारॊ हरियॆ ॥ ६ ॥

वृंदारकवंद्य सेतुबंधनविहार दश ।
कंधरन्न कॊंद रामचंद्र बारॊ हरियॆ ॥ ७ ।

मल्लरनॆल्लर सीळि बल्लिद मावन कॊंद ।
गॊल्लर वल्लभ नम्म नल्ल बारॊ हरियॆ ॥ ८ ॥

बुद्धनागि दैत्यरिगबद्ध पद्धतिय तोरि ।
रुद्रन गॆलिसिद सुभद्र बारॊ हरियॆ ॥ ९ ॥

कक्कसद खळरन्नु कल्किरूपनागि मेलॆ ।
शिक्षिसुव सुजनर पक्ष बारॊ हरियॆ ॥ १० ॥

विजय श्रीहयवदन भजकर भाग्यनॆ ।
सुजनाभिराज शशितेज बारॊ हरियॆ ॥ ११ ॥

संकीर्तनॆ (सोमवारक्कॆ)


दाव कुलवॆंदरियबारदु
गोव काव गॊल्लनंतॆ ॥ प ॥

तानु पोगि पारिजातद हूव सतिगॆ तंदनंतॆ ॥ अ ॥

गोकुलदल्लि पुट्टिदनंतॆ गोवुगळनॆ काय्दनंतॆ ।
कॊळलनूदि मृगपक्षिगळ मरुळुमाडिद देवनंतॆ ॥ १ ॥

तरळतनदल्लि ऒरळनॆळॆदु मरन मुरिदु मत्तिय त।
न्नॊडल ऒळगॆ ईरेळु जगंगळ पडॆद तायिगॆ तोरिदनंतॆ ॥ २ ।

गॊल्ल सतियर मनॆय पॊक्कु कळ्ळतनव माडिदनंतॆ ।
बल्लिद पूतनि विषवनुंडु मॆल्लनॆ तृणन कॊंदनंतॆ ॥ ३ ।

कालिलि शकटन ऒद्दनंतॆ गाळि कंबव कित्तनंतॆ ।
काळिंगनागन फणव तुळिदु बालरिगॆल्ल ऒलिदनंतॆ ॥ ४ ।

सर्प तन्न हासिगॆयंतॆ पक्षि तन्न वाहनवंतॆ ।
मुक्कण्ण तन्न मॊम्मगनंतॆ मुद्दुमुखद चॆलुवनंतॆ ॥ ५ ।

कडल मगळ तंदनंतॆ करडि मगळु मडदियंतॆ ।
कॊडॆय पिडिदु बेडिदनंतॆ ईरेळु लोकक्कॆ ऒडॆयनंतॆ ॥ ६ ॥

हडगिनॊळगिंद बंदनंतॆ कडलतडियलि निंदनंतॆ ।
गुरुमध्वमुनिगॆ ऒलिदनंतॆ हयवदन चॆलुवनंतॆ ॥ ७ ।

संकीर्तनॆ (मंगळवारक्कॆ)

दितिजर बनकॆ दुरंत कृतांत ।
गति नीनॆ नमगॆ गुणवंत हनुमंत ॥ प ॥

अबुधिय दाटि सीतॆय रूह कंडॆ ।
कुबुद्धि रावणन पुरव सूरॆगॊंडॆ ॥
विबुधरुत्साहदि माडिद बलुगंडॆ ।
प्रबुद्धवृंदर पुण्यफलरस उंडॆ ॥ १ ॥

केसरिय तनय दक्षिणकागि बंदॆ ।
वारिधिबंधनकॆ बलु गिरिगळ तंदॆ ॥
ईश रघुपति सेवॆगॆ घनवागि निंदॆ ।
असुर रावणन सर्वसैन्यव कॊंदॆ ॥ २ ॥

हयवदन कृपाप्रवाहव पॊत्तॆ अ।
प्रियवाद भवतरुविन बेर कित्तॆ ॥
भयव खंडिसि संतोषव नमगित्तॆ ।
जय जय प्राणसुत नमोनमस्ते ॥ ३ ॥

संकीर्तनॆ (बुधवारक्कॆ)


नीरॆ तोरॆलॆ नीरॆ तोरॆलॆ नीलवर्णद देवन ।
भामॆ तोरॆलॆ भामॆ तोरॆलॆ बाल उडुपिन कृष्णन ॥ १ ॥

काललंदुगॆ कडग कंकण लोल उडुपिगॆ बंदन ।
बाललीलॆय जगकॆ तोरिद गो-पाल उडुपिन कृष्णन ॥ २ ॥

कडॆव कडॆगोल नेणुसहितलि हडगिनॊळगिंद बंदन ।
बिडदॆ भक्तर ऒडनॆ पालिप रंग उडुपिन कृष्णन ॥ ३ ॥

मुद्दु मुखदव मूरु जडॆयलि इद्द उडुपिन स्थळदलि ।
ऒद्दु शकटन आदिगुरुगळ मुद्दु उडुपिन कृष्णन ॥ ४ ॥

मल्लरॊडगूडि मथुरपुरदल्लि बिल्लहब्बव नडॆसिद ।
बल्लिद कंसासुरन सीळिद मल्ल उडुपिन कृष्णन ॥ ५ ॥

बालसंन्यासिगळु निन्ननुप्रेमदिंदलि भजिसलु ।
आलदॆलॆय मेलॆ मलगिद गो-पाल उडुपिन कृष्णन ॥ ६ ॥

अद्वय हरि ब्रह्मवल्लभ विद्यसारथि माडिदॆ ।
सद्गुरु मुनि वादिराजन मुद्दु उडुपिन कृष्णन संकीर्तनॆ ॥ ७ ॥

संकीर्तनॆ (गुरुवारक्कॆ)


ऎन्नॊडॆय हयग्रीव अनुदिन नॆनॆदरॆ ।
पुण्यहीनरिगॆ दॊरकॊंबुदॆलॆ मनुज ॥ प ॥

भक्ति बेकु परम विरक्ति बेकु हरि तन्निं ।
दुत्तम मत्तॊब्बनॆंब नॆनहिरबेकु ॥
मॊत्तदिंद्रियंगळ निग्रह बेकु बॊम्मादिगळ ।
उत्तमरॆन्निंद नृत्य अच्युतंगॆ इरबेकु ॥ १ ॥

अरिषड्वर्गद विजय बेकु गुरुकुलनिलय ।
गुरुमध्वमत बेकु गुरुभक्ति बेकु ॥
हरिय डिंगरिगर संग बेकु शंखचक्र ।
धरनागिरबेकु स्वरूपयोग्यता बेकु ॥ २ ॥

वेदाभ्यासवु बेकु अदरर्थ हरियॆंब ।
बोधविरबेकु खळरळियलु बेकु ।
वादिराजनॊडॆय श्रीहयवदनन दिव्य।
पादव नंबिरबेकिहपरादिगळ बयसुवरॆ ॥ ३ ॥

संकीर्तनॆ (शुक्रवारक्कॆ)

बुद्धिय हेळम्म नीनु मुद्दु बालकृष्णनिगॆ ।
कद्दु बॆण्ङे मॆलुवाग करॆयॆ गोप्यम्म ॥ १ ॥

कालु कालु नलिवाग ध्वनिपालनम्म ।
कॆरॆनीरॊळगॆ बिद्दु तेलिहोदनम्म ॥ २ ॥

बालर मंडॆगॆ हॆट्टोदुचितवेनम्म ।
कोलुकॊंडु कॊल्लहोदरॆ ओडिहोदनम्म ॥ ३ ॥

बट्टलॊळगिन हालु कुडिदातनम्म ।
कट्टिद करुगळ बिच्चि बिट्टुहोदनम्म ॥ ४ ॥

उट्टसीरॆ सॆळॆवुदु उचितवेनम्म ।
दिट्टतन बेडॆंदु हेळॆ गोप्यम्म ॥ ५ ॥

आविन हॆगलमेलॆ एरि बंदनम्म ।
हाविनल्लि निद्दॆगैवुदुचितवेनम्म ॥ ६ ॥

साविर हॆसरुळ्ळ देव काणम्म ।
भावज्ञ कावेरिरंग काणम्म ॥ ७ ॥

संकीर्तनॆ (शनिवारक्कॆ)


निन्न पादव नंबिदॆ ना निन्ननॆ मरॆहॊक्कॆनु ।
निन्न दासर दास नानु प्र सन्नवेंकट पाहि माम् ॥ प ॥

लोकलोकंगळनॆल्ला-नेकरूपदि सलहिदॆ ।
साकु सासिरनामदॊडॆय लोकवेंकट पाहि माम् ॥ १ ॥

मंदराद्रियनॊंदु बॆरळलि बंदु नी नलिदॆत्तिदॆ ।
सिंधुशयनानंदमूरुति तंदॆवेंकट पाहि माम् ॥ २ ॥

राम भार्गवराम दशरथ- राम रघुकुलरामनॆ ।
कामितार्थवनीव दयाळु करुणिवेंकट पाहि माम् ॥ ३ ॥

करियु मॊरॆयिडॆ केळि बेगदि भरदि मकरिय सीळिदॆ ।
परम भक्तर धुरदि पालिप वरदवेंकट पाहि माम् ॥ ४ ॥

नरगॆ सारथियागि तुरगव भरदि नीने नडॆसिदॆ ।
हरि मुकुंद मुरारि रक्षिसु वरदवेंकट पाहि माम् ॥ ५ ॥

नारदादि मुनींद्ररॆल्लर भरदि नीने पालिपॆ ।
गरुव मूडलगिरियवास हरियवेंकट पाहि माम् ॥ ६ ॥

शरणु श्रीवैकुंठनायक शरणु श्रीपुरुषोत्तम ।
शरणु श्रीधर गरुडवाहन शरणुवेंकट पाहि माम् ॥ ७ ॥

गोविंद गोविंद राम

गोविंद गोविंद राम । गोविंद नारायण ॥

गोविंद गोपालकृष्ण । गोविंद नारायण ॥ प ॥

सोमासुरनॆंब दैत्य । सामक वेदवनॊय्यलुम ॥
सोमासुरनन्नु कॊंदु । सामकवेदव तंदनुम ॥ १ ॥

गुड्डवु मुळुगि पोगलु नम्म देव । गुड्डव बॆन्नलि पॊत्तनुम ॥
गुड्डदंत असुररनॆल्ल । अड्डगॆडहि बिसुटनुम ॥ २ ॥

चिन्नगण्णिनवनु बंदु । कन्नॆ हॆण्णनॊय्यलुम ॥
वर्णरूपव ताळि असुरन । छिन्नभिन्नव बगिदनुम ॥ ३ ॥

कंबदिंदलि उदिसि नम्म देव । जंबदसुरन बगिदनुम ।
नंबिद प्रह्लादन्न कायिद । अंबुजनाभ नृसिंहनुम ॥ ४ ॥

बलु मुरुडन्नागि भूमिय बलिय दानव बेडिदनुम ॥
इळॆय ईरडिय माडि । बलिय पाताळक्कॊत्तिदनुम ॥ ५ ॥

कॊडलियन्नु पिडिदु नम्म देव । कडिद क्षत्रियरनुम ॥
पडॆद ताय शिरव तरिदु । पडॆदनाकॆय प्राणनुम ॥ ६ ॥

ऎंटॆरडु तलॆयादसुरन । कंठव छेडिसि बिसुटनुम ॥
ऒंटि रूपव ताळि लंकॆय । बंट विभीषणगित्तनुम ॥ ७ ॥

सोळसासिर गोपियरॊडनॆ । केळमेळदॊळिप्पनुम ॥
बालकनागि तन्न रूपदल्लि श्री । लोल लक्षुमियरसनुम ॥ ८ ॥

ऒप्पदिंदलि बंदु नम्म देव । इप्पॆवनदॊळगिप्पनुम ॥
सर्प शरन्नागि पोगि त्रिपुर संहार माडिदनुम ॥ ९ ॥

यलम यलम यलम नम्म देव । बल्लिद कल्क्यवतारनुम ॥
इळॆय स्वर्ग पाताळकॊडॆय । चॆलुव श्रीहयवदननुम ॥ १० ॥

नीरॆ तोरॆलॆ

नीरॆ तोरॆलॆनीरॆ तोरॆलॆ नीलवर्णद देवन
भामॆ तोरॆलॆ भामॆ तोरॆलॆ बाल उडुपिय कृष्णन ||

कडॆव कडॆगोलु नेणु सहितलि कडलिनॊळगिंद बंदन
बिडदॆ भक्तर ऒडनॆ पालिप रंग उडुपिय कृष्णन||

मुद्दुमुखदव मूरु जडॆयलि इद्द उडुपिय स्थळदलि
ऒद्दु शकटन आदिगुरुगळ मुद्दु उडुपिय कृष्णन||

बालसन्यासिगळु निन्ननु प्रेमदिंदलि भजिसलु
आलदॆलॆय मेलॆ मलगिद बाल उडुपिय कृष्णन ||

अध्वर्यु हरि ब्रह्म वल्लभ नित्य सारथि माडिदॆ
सद्गुरु मुनि वादिराजन मुद्दु उडुपिय कृष्णन ||

॥ भारतीरमणमुख्यप्राणान्तर्गत श्रीकृष्णार्पणमस्तु ॥